Kamalambikayastava Bhakthoham (Avarana 6 of Navavarna Krithis)

कमलाम्बिकायास्तव – रागं पुन्नाग वराळि – ताळं – रूपकम् (षष्ट्यावरण कीर्तनम्) पल्लवि कमलाम्बिकायास्तव भक्तोऽहं शङ्कर्याः श्री-कर्याः सङ्गीत रसिकायाः श्री अनुपल्लवि सुम शरेक्षु कोदण्ड पाशाङ्कुश पाण्याः अति मधुर-तर वाण्याः शर्वाण्याः कल्याण्याः (मध्यम काल साहित्यम्) रमणीय पुन्नाग वराळि विजित वेण्याः श्री चरणम् दश कलात्मक वह्नि स्वरूप – प्रकाशान्तर्दशार सर्व रक्षा-कर चक्रेश्वर्याः त्रि-दशादि Read more…

Shri kamalambikayah param nahire re chitta (Avarana 5 of Navavarna Krithis)

    श्री कमलाम्बिकायाः परम् – रागं भैरवि – ताळं झम्प (पञ्चमावरण कीर्तनम्) पल्लवि श्री कमलाम्बिकायाः परं नहिरे रे चित्त क्षित्यादि शिवान्त तत्व स्वरूपिण्याः अनुपल्लवि श्री कण्ठ विष्णु विरिञ्चादि जनयित्र्याः शिवात्मक विश्व कर्त्र्याः कारयित्र्याः (मध्यम काल साहित्यम्) श्री-कर बहिर्दशार चक्र स्थित्याः सेवित भैरवी भार्गवी भारत्याः चरणम् नाद-मय सूक्ष्म रूप सर्व Read more…

Kamalambikayai Kanakamsukayai (Avarana 4 of Navavarna Krithis)

    कमलाम्बिकायै कनकांशुकायै – रागं काम्भोजि – ताळं अट(चतुर्थावरण कीर्तनम्)पल्लविकमलाम्बिकायै कनकांशुकायैकर्पूर वीटिकायै नमस्ते नमस्तेअनुपल्लविकमला कान्तानुजायै कामेश्वर्यै अजायैहिम गिरि तनुजायै ह्रींकार पूज्यायै(मध्यम काल साहित्यम्)कमला नगर विहारिण्यै खल समूह संहारिण्यैकमनीय रत्न हारिण्यै कलि कल्मष परिहारिण्यैचरणम्सकल सौभाग्य दायकाम्भोज चरणायैसंक्षोभिण्यादि शक्ति युत चतुर्थावरणायैप्रकट चतुर्दश भुवन भरणायैप्रबल गुरु गुह सम्प्रदायान्तःकरणायैअकळङ्क रूप वर्णायै अपर्णायै सुपर्णायैसु-कर Read more…

Sri Kamalambambikayaa Kataakshithoham (Avarana 3 of Navavarna Krithis)

श्री कमलाम्बिकया कटाक्षितोऽहं- रागं शङ्कराभरणम् – ताळं रूपकम्(तृतीयावरण कीर्तनम्)पल्लविश्री कमलाम्बिकया कटाक्षितोऽहंसच्चिदानन्द परिपूर्ण ब्रह्मास्मिअनुपल्लविपाक शासनादि सकल देवता सेवितयापङ्कजासनादि पञ्च-कृत्याकृत्भावितया(मध्यम काल साहित्यम्)शोक हर चतुर पदया मूक मुख्य वाक्प्रदयाकोकनद विजय पदया गुरु गुह तत्-त्रै-पदयाचरणम्अनङ्ग कुसुमाद्यष्ट शक्त्याकारयाअरुण वर्ण संक्षोभण चक्राकारयाअनन्त कोट्यण्ड नायक शङ्कर नायिकयाअष्ट वर्गात्मक गुप्त-तरया वरया(मध्यम काल साहित्यम्)अनङ्गाद्युपासितया अष्ट दळाब्ज स्थितयाधनुर्बाण धर करया दया सुधा Read more…

Kamalambam Bhajare Re Maanasa (Avarana 2 of Navavarna Krithis)

कमलाम्बां भजरे – रागं कल्याणि – ताळं आदि(द्वितीयावरण कीर्तनम्)पल्लविकमलाम्बां भजरे रे मानस कल्पित माया कार्यं त्यज रेअनुपल्लविकमला वाणी सेवित पार्श्वांकम्बु जय ग्रीवां नत देवां(मध्यम काल साहित्यम्)कमला पुर सदनां मृदु गदनांकमनीय रदनां कमल वदनाम्चरणम्सर्वाशा-परिपूरक-चक्र स्वामिनींपरम-शिव कामिनींदुर्वासार्चित गुप्त-योगिनीं दुःख ध्वंसिनीं हंसिनीम्निर्वाण निज सुख प्रदायिनींनित्य कल्याणीं कात्यायनींशर्वाणीं मधुप विजय वेणींसद्-गुरु गुह जननीं निरञ्जनीम्(मध्यम काल साहित्यम्)गर्वित Read more…

Kamalamba Samrakshatu (Avarana 1 of Navavarna Krithis)

कमलाम्बा संरक्षतु माम् – रागं आनन्द भैरवि – ताळं तिश्र त्रिपुट(प्रथमावरण कीर्तनम्)पल्लविकमलाम्बा संरक्षतु मां हृत्कमला नगर निवासिनी अम्बअनुपल्लविसुमनसाराधिताब्ज मुखी सुन्दर मनःप्रियकर सखीकमलजानन्द बोध सुखीकान्ता तार पञ्जर शुकीचरणम्त्रिपुरादि चक्रेश्वरी अणिमादि सिद्धीश्वरी नित्य कामेश्वरी क्षिति पुर त्रै-लोक्य मोहन चक्रवर्तिनीप्रकट योगिनी सुर रिपु महिषासुरादि मर्दिनीनिगम पुराणादि संवेदिनी(मध्यम काल साहित्यम्)त्रिपुरेशी गुरु गुह जननी त्रिपुर भञ्जन रञ्जनीमधु रिपु सहोदरी तलोदरी त्रिपुर सुन्दरी Read more…

Kamalambike Ashritakalpalatike Candike (Dhyana Kriti)

कमलाम्बिके आश्रित – रागं तोडि – ताळं रूपकम् (नवावरण ध्यान कीर्तनम्)पल्लविकमलाम्बिके आश्रित कल्प लतिके चण्डिकेकमनीयारुणांशुके कर विधृत शुके मामवअनुपल्लविकमलासनादि पूजित कमल पदे बहु वरदेकमलालय तीर्थ वैभवे शिवे करुणार्णवेचरणम्सकल लोक नायिके सङ्गीत रसिकेसु-कवित्व प्रदायिके सुन्दरि गत मायिकेविकळेबर मुक्ति दान निपुणे अघ हरणेवियदादि भूत किरणे विनोद चरणे अरुणे(मध्यम काल साहित्यम्)सकळे गुरु गुह Read more…

Goddesses of Navaratri

During Navaratri, we pray to Durga Parameswari,  Maha Lakshmi and Saraswathi Devi. Whether we consider them as three Goddesses or 33 Crore Devatas, all that is One only, the One Parasakthi. Lalitha Sahasranamam makes this succinctly clear. It says:- ” She is the Creator. ‘Srushti Karthri – Brhmarupa.’ She is Read more…

தத்துவமயமான விநாயகர்

முலம்: தெய்வத்தின் குரல் ஜகத்குரு ஸ்ரீசந்திரசேகரேந்திர சரஸ்வதி ஸ்வாமிகளின் அருள்மொழிகள் விநாயக மூர்த்தியிலுள்ள ஒவ்வொரு சின்ன சமாசாரத்தைக் கவனித்தாலும் அதில் நிறையத் தத்துவங்கள் இருக்கின்றன. பிள்ளையாருக்குத் தேங்காய் உடைப்பது எதற்காக? விக்நேசுவரர், தம் அப்பாவான ஈசுவரனைப் பார்த்து “உன் சிரசையே எனக்குப் பலி கொடு” என்று கேட்டு விட்டாராம். எல்லாவற்றையும் காட்டிலும் உயர்ந்தது எதுவோ அதைத் தியாகம் பண்ணினால்தான் மகா கணபதிக்குப் ப்ரியம் ஏற்படுகிறது. அவ்வளவு பெரிய தியாகம் பண்ணுவதற்குத் Read more…