Slokas
Kamakshi Stotram
।। कामाक्षी स्तोत्रम् ।। Kamakshi Stotram – By Adi Sankara Bhagavatpada कल्पानोकह-पुष्प-जाल-विलसन्नीलालकां मातृकां कान्तां कञ्ज-दलेक्षणां कलि-मल-प्रध्वंसिनीं कालिकाम् । काञ्ची-नूपुर-हार-दाम-सुभगां काञ्ची-पुरी-नायिकां कामाक्षीं करि-कुम्भ-सन्निभ-कुचां वन्दे महेश-प्रियाम् ॥१॥ काशाभांशुक-भासुरां प्रविलसत्-कोशातकी-सन्निभां चन्द्रार्कानल-लोचनां सुरुचिरालङ्कार-भूषोज्ज्वलाम् । ब्रह्म-श्रीपति-वासवादि-मुनिभिः संसेविताङ्घ्रि-द्वयां कामाक्षीं गज-राज-मन्द-गमनां वन्दे महेश-प्रियाम् ॥२॥ ऐं क्लीं सौरिति यां वदन्ति मुनयस्तत्त्वार्थ-रूपां परां वाचाम् आदिम-कारणं हृदि सदा Read more…