Shri kamalambikayah param nahire re chitta (Avarana 5 of Navavarna Krithis)

    श्री कमलाम्बिकायाः परम् – रागं भैरवि – ताळं झम्प (पञ्चमावरण कीर्तनम्) पल्लवि श्री कमलाम्बिकायाः परं नहिरे रे चित्त क्षित्यादि शिवान्त तत्व स्वरूपिण्याः अनुपल्लवि श्री कण्ठ विष्णु विरिञ्चादि जनयित्र्याः शिवात्मक विश्व कर्त्र्याः कारयित्र्याः (मध्यम काल साहित्यम्) श्री-कर बहिर्दशार चक्र Read more…

Kamalambikayai Kanakamsukayai (Avarana 4 of Navavarna Krithis)

    कमलाम्बिकायै कनकांशुकायै – रागं काम्भोजि – ताळं अट(चतुर्थावरण कीर्तनम्)पल्लविकमलाम्बिकायै कनकांशुकायैकर्पूर वीटिकायै नमस्ते नमस्तेअनुपल्लविकमला कान्तानुजायै कामेश्वर्यै अजायैहिम गिरि तनुजायै ह्रींकार पूज्यायै(मध्यम काल साहित्यम्)कमला नगर विहारिण्यै खल समूह संहारिण्यैकमनीय रत्न हारिण्यै कलि कल्मष परिहारिण्यैचरणम्सकल सौभाग्य दायकाम्भोज चरणायैसंक्षोभिण्यादि शक्ति युत चतुर्थावरणायैप्रकट Read more…

Sri Kamalambambikayaa Kataakshithoham (Avarana 3 of Navavarna Krithis)

श्री कमलाम्बिकया कटाक्षितोऽहं- रागं शङ्कराभरणम् – ताळं रूपकम्(तृतीयावरण कीर्तनम्)पल्लविश्री कमलाम्बिकया कटाक्षितोऽहंसच्चिदानन्द परिपूर्ण ब्रह्मास्मिअनुपल्लविपाक शासनादि सकल देवता सेवितयापङ्कजासनादि पञ्च-कृत्याकृत्भावितया(मध्यम काल साहित्यम्)शोक हर चतुर पदया मूक मुख्य वाक्प्रदयाकोकनद विजय पदया गुरु गुह तत्-त्रै-पदयाचरणम्अनङ्ग कुसुमाद्यष्ट शक्त्याकारयाअरुण वर्ण संक्षोभण चक्राकारयाअनन्त कोट्यण्ड नायक शङ्कर नायिकयाअष्ट वर्गात्मक गुप्त-तरया Read more…

Kamalambam Bhajare Re Maanasa (Avarana 2 of Navavarna Krithis)

कमलाम्बां भजरे – रागं कल्याणि – ताळं आदि(द्वितीयावरण कीर्तनम्)पल्लविकमलाम्बां भजरे रे मानस कल्पित माया कार्यं त्यज रेअनुपल्लविकमला वाणी सेवित पार्श्वांकम्बु जय ग्रीवां नत देवां(मध्यम काल साहित्यम्)कमला पुर सदनां मृदु गदनांकमनीय रदनां कमल वदनाम्चरणम्सर्वाशा-परिपूरक-चक्र स्वामिनींपरम-शिव कामिनींदुर्वासार्चित गुप्त-योगिनीं दुःख ध्वंसिनीं हंसिनीम्निर्वाण निज सुख प्रदायिनींनित्य Read more…

Kamalamba Samrakshatu (Avarana 1 of Navavarna Krithis)

कमलाम्बा संरक्षतु माम् – रागं आनन्द भैरवि – ताळं तिश्र त्रिपुट(प्रथमावरण कीर्तनम्)पल्लविकमलाम्बा संरक्षतु मां हृत्कमला नगर निवासिनी अम्बअनुपल्लविसुमनसाराधिताब्ज मुखी सुन्दर मनःप्रियकर सखीकमलजानन्द बोध सुखीकान्ता तार पञ्जर शुकीचरणम्त्रिपुरादि चक्रेश्वरी अणिमादि सिद्धीश्वरी नित्य कामेश्वरी क्षिति पुर त्रै-लोक्य मोहन चक्रवर्तिनीप्रकट योगिनी सुर रिपु महिषासुरादि मर्दिनीनिगम पुराणादि संवेदिनी(मध्यम काल Read more…

Kamalambike Ashritakalpalatike Candike (Dhyana Kriti)

कमलाम्बिके आश्रित – रागं तोडि – ताळं रूपकम् (नवावरण ध्यान कीर्तनम्)पल्लविकमलाम्बिके आश्रित कल्प लतिके चण्डिकेकमनीयारुणांशुके कर विधृत शुके मामवअनुपल्लविकमलासनादि पूजित कमल पदे बहु वरदेकमलालय तीर्थ वैभवे शिवे करुणार्णवेचरणम्सकल लोक नायिके सङ्गीत रसिकेसु-कवित्व प्रदायिके सुन्दरि गत मायिकेविकळेबर मुक्ति दान निपुणे अघ Read more…

Kamakshi Stotram

।। कामाक्षी स्तोत्रम् ।।  Kamakshi Stotram – By Adi Sankara Bhagavatpada कल्पानोकह-पुष्प-जाल-विलसन्नीलालकां मातृकां कान्तां कञ्ज-दलेक्षणां कलि-मल-प्रध्वंसिनीं कालिकाम् । काञ्ची-नूपुर-हार-दाम-सुभगां काञ्ची-पुरी-नायिकां कामाक्षीं करि-कुम्भ-सन्निभ-कुचां वन्दे महेश-प्रियाम् ॥१॥   काशाभांशुक-भासुरां प्रविलसत्-कोशातकी-सन्निभां चन्द्रार्कानल-लोचनां सुरुचिरालङ्कार-भूषोज्ज्वलाम् । ब्रह्म-श्रीपति-वासवादि-मुनिभिः संसेविताङ्घ्रि-द्वयां कामाक्षीं गज-राज-मन्द-गमनां वन्दे महेश-प्रियाम् ॥२॥   ऐं Read more…

Desmond Purpleson

CEO

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